आज कई दिनों बाद आना हुआ है तुम्हारे चिट्ठे पर… और इस पोस्ट को देख के लगा कि कुछ पहचाना सा है पता चला कि ये तो अपना-तपना ही है जो अच्छे से देखा भाल सुना सुनाया है और इतनी मोहब्बत से तुमने इसे इज्ज़त बख्शी है यहाँ
नवाजिश करम शुक्रिया मेहेरबानी हमें बख्श दी आपने सुखन सानी
माशाल्लाह! आपकी पारखी नज़र ने इन्हें तलाशा और तराशा है तो हीरे से कम नहीं ;)
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ReplyDeleteपता चला कि ये तो अपना-तपना ही है जो अच्छे से देखा भाल सुना सुनाया है और इतनी मोहब्बत से
तुमने इसे इज्ज़त बख्शी है यहाँ
नवाजिश करम शुक्रिया मेहेरबानी
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